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Yearly Horoscope 2025

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Aries - मेष

वर्षरम्भ से 29 मार्च तक इस राशि पर शनि की नीच दृष्टि रहने से शत्रुभय, दुष्ट व्यक्ति द्वारा हानि सम्भव है। ता. 29 मार्च से वर्षान्त तक इस राशि पर शनि-साढ़ेसति का प्रभाव रहने से भी वर्षभर व्यर्थ की भागदौड़, मानसिक परेशानियां, कोर्ट-केस तथा अचानक रोग उपस्थित होने के योग रहेंगे। वर्षारम्भ से 20 जन. तक राशिस्वामी वक्री अवस्था में नीचराशिगत होकर शनि के साथ षडाष्टक सम्बन्ध बनाएगा, जिससे बनते कामों में उलझनें, धन-हानि व परेशानियों का सामना होगा। स्वास्थ्य भी खराब रहे। वर्षारम्भ से 17 मई तक राहु द्वादशस्थ रहने से अचानक धन हानि से बचें।

ता. 3 अप्रै. से 6 जून तक मंगल पुनः नीच (कर्क) राशिगत संचार करने से इस अवधि में धन-हानि तथा बनते कामों में विघ्न/बाधाएं उत्पन्न होंगी। ता. 6 जून से 27 जुला. के मध्य मंगल-शनि के मध्य षडाष्टक सम्बन्ध, तदुपरान्त 12 सितं. तक सप्तम दृष्टि सम्बन्ध रहने से तनाव एवं उत्तेजना के कारण मन-अशान्त रहे। कठिनता से निर्वाह योग्य आय के साधन बनें, खर्च अधिक हों। ता. 27 अक्तू. से 6 दिसं. तक मंगल अष्टमस्थ रहने से स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

उपाय- (1) शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरु करके 21 मंगलवार तक व्रत रखना शुभ होगा। प्रातः एवं सायंकाल श्रीहनुमान चालीसा का पाठ करके श्रीहनुमान मन्दिर में सिन्दूर-तेल-नारियल तथा मिष्ठान्न प्रसाद चढ़ाना शुभ होगा।

(2) ता. 29 मार्च के बाद प्रत्येक शनिवार सरसों के तेल में अपना मुख देखकर शनि का बीज मन्त्र पढ़ते हुए शनिदेव की मूर्त्ति को चढ़ाते रहें। शनि मन्त्र- "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः ।।"

Taurus - वृष

★ वर्षफल - वृष राशि

वर्षारम्भ से 14 मई तक गुरु का संचार इस राशि पर रहने से मिश्रित फल प्राप्त होंगे। उच्च-प्रतिष्ठित लोगों से मेल-जोल, धार्मिक कार्यों में रूचि, परन्तु किसी निकटस्थ के साथ वाद-विवाद एवं दन्त, त्वचा अथवा बालों से सम्बन्धित रोग की सम्भावना रहे। ता. 29 मार्च से वर्षान्त तक शनि की तृतीय (मित्र) दृष्टि रहने से कुछ सुखद एवं मंगलकारी घटनाएं घटित होंगी

उपाय- (1) ता. 14 मई तक प्रत्येक बृहस्पतिवार सामर्थ्यानुसार 1 दर्जन केले किसी वृद्ध ब्राह्मण को अथवा बालकों में बाँटें।

(2) ता. 29 मार्च के बाद काले वर्ण की गाय की सेवा करें, विशेषकर प्रत्येक मास की अमावस |

ता. 28 जन. से 30 मई तक राशिस्वामी शुक्र मीन (उच्च) राशिगत संचार करने से अकस्मात् धन लाभ के चाँस बनेंगे, परन्तु खर्च भी अधिकरहेंगे। ता. 14 सितं. से 8 अक्तू. तक शुक्र चतुर्थस्थ केतुयुक्त होने से वाहनादि, घरेलू कार्यों पर खर्च अधिक होगा। ता. 9 अक्तू. से 1 नवं. तक शुक्र कन्या (नीच) राशिस्थ होने से संघर्षपूर्ण परिस्थितियां बनेंगी। किसी दुष्ट व्यक्ति द्वारा हानि होने के संकेत मिलते हैं।

Gemini - मिथुन

3. gemini

★ वर्षफल-मिथुन राशि

इस राशि से गुरु वर्षारम्भ से 14 मई तक द्वादशस्थ रहने से भूमि, वाहनादि पर विशेष खर्च होंगे। पिता तथा स्त्री-सुख में कमी तथा व्यवसाय में भी खर्च अधिक व लाभ कम होने के संकेत हैं। ता. 21 जन. से 2 अप्रै. तक मंगल भी इस राशि पर संचार करने से मानसिक तनाव, उत्तेजना व क्रोध अधिक रहेगा।

ता. 24 जन. से 10 फर. के मध्य राशिस्वामी बुध अष्टमस्थ होने 7 से बनते कामों में अड़चनें, पारिवारिक परेशानियाँ, स्वास्थ्य में गड़बड़, आर्थिक एवं गुप्त चिन्ताएँ होंगी। ता. 11 फर. से 27 फर. तक बुध भाग्यस्थ होने से भाग्योन्नति तथा निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे। ता. 27 फर. से 6 मई तक बुध नीच (मीन) राशिस्थ होने से बनते कामों में अड़चनें तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी विकार होने की सम्भावनाएँ हैं। ता. 14 मई से 18 अक्तू. तक गुरु इस राशि पर संचार करने से मानसिक तनाव व घरेलू उलझनें अधिक रहेंगी। यद्यपि विद्यार्थियों को विद्या में सफलता के चाँस बनेंगे। ता. 6 जून से 22 जून तक, फिर 15 सितं. से 2 अक्तू. तक बुध स्वराशिगत रहने से तनाव के बावजूद निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहें। नवं. दिसं. में शत्रु हानि पहुँचाने की चेष्टा करेंगे।

उपाय- (1) वर्षारम्भ से मई मास तक प्रत्येक अमावस्या को पीपल के वृक्ष को तिलयुक्त जल चढ़ाना, प्रदक्षिणा करना तथा ब्राह्मण को दूध, भोजन दान करना शुभ एवं कल्याणकारी रहेगा।

(2) 18 मई तक लगातार 21 शनिवार सूखे नारियल को तेल का टीका लगाकर काली डोरी लपेटकर अपने सिर से 3 बार छुआकर बीज मन्त्र पढ़ते हुए शाम के समय चलते पानी में बहा देवें।

Cancer - कर्क

4. cancer

वर्षफल - कर्क राशि

कर्क राशि पर शनि की ढैय्या का अशुभ प्रभाव अभी 29 मार्च तक रहेगा। इसी के साथ वर्षारम्भ से 20 जन तक, पुनः 2 अप्रैल से 6 जून तक मंगल का संचार इस राशि पर नीचावस्था में रहेगा। फलस्वरूप इन समयावधियों में अनावश्यक परेशानियां, वृथा दौड़-धूप, गुप्त चिन्ताएं, रोग, शोक, निकटस्थ बन्धुओं से विरोध एवं आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। ता. 29 मार्च के बाद शनि की ढैय्या का अशुभप्रभाव हट जाने से यद्यपि बिगड़े हुए कार्यों में कुछ सुधार होगा।

5 दिसं. से गुरु पुनः 12वें संचार करने से संघर्ष अधिक रहेगा।

उपाय- (1) वर्षारम्भ से जून तक लगातार अथवा 21 मंगलवार का व्रत रखकर प्रशाद चढ़ाना शुभरहेगा। संकल्प सहित हमारी प्रकाशित पं. देवीदयालु 'मंगलवार व्रत कथा' ही खरीदें। बाज़ार में प्रचलित अन्य कथाओं में संकल्प तथा अन्य आवश्यक विधि-विधान का अभाव रहता है।

(2) कृष्ण पक्ष के शनिवार से (29 मार्च तक) प्रारम्भ करके लगातार 7 शइनवार सूखे नारियल को तेल का टीका लगाकर काली डोरी लपेटकर अपने सिर से 3 बार छुआकर शनि बीज मन्त्र पढ़ते हुए शाम के समय चलते पानी में बहा देवें।

Leo - सिंह

★ वर्षफल-सिंह राशि

सिंह राशि पर वर्षारम्भ से 29 मार्च तक शनि की शत्रु सप्तम दृष्टि, तदुपरान्त वर्षान्त तक शनि की ढैय्या का अशुभ प्रभाव रहेगा। जिससे बनते कार्यों में विलम्ब, रुकावटें रहेंगी, घरेलु परेशानियों के कारण मानसिक तनाव, उचाटता रहेगी।

12 फर. से 13 मार्च तक राशिस्वामी सूर्य की सिंह राशि पर स्वगृही 9 दृष्टि से उपाय के साधनों में वृद्धि, मान-सम्मान बढ़ेगा। प्रयास करने पर सू. बिगड़ा कार्य बनेगा। 18 मई से केतु का संचार इस राशि पर होने से मानसिक अशान्ति व चिन्ताएं भी रहेंगी। चोटादि का भी भय है, सावधान रहे। ता. 17 अक्तू. से 16 नवं. तक सूर्य नीच राशि तुला में संचार करने तथा शनि की ढैय्या रहने से प्रारम्भ में गुप्त शत्रु हानि पहुँचाने की चेष्टा करेंगे, घरेलु उलझनें तथा कारोबार में रुकावटों के योग हैं, परन्तु उत्साह एवं पुरुषार्थ में वृद्धि से सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी।

उपाय- (1) शनि की दृष्टि तथा ढैय्या के अशुभ प्रभाव के निवारण हेतु हर शनिवार सायंकाल को शनि मन्दिर में तेल, काले तिल चढ़ाना तथा दशरथकृत 'शनि स्तोत्रम्' का पाठ करना शुभ रहेगा।

(2) रविवार का व्रत रखना, सूर्य भगवान् को मंत्रपूर्वक अर्घ्य देना तथा पं. देवीदयालु पब्लिकेशन्ज़ द्वारा प्रकाशित 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का पाठ करना शुभ रहेगा।

Virgo - कन्या

वर्षफल - कन्या राशि

वर्षारम्भ से 18 मई तक इस राशि पर केतु का संचार रहने से उद्विग्न चित्त, भाई-बन्धुओं के सहयोग में कमी, कलह-क्लेश, स्त्री (पति) से वैमनस्य, वातादि रोगों से कष्ट रहेगा। वर्षारम्भ से 14 मई तक गुरु की भी अशुभ दृष्टि रहने से गुप्त शत्रु हानि पहुँचाने के प्रयास में रहेंगे। ता. 21 जन. से 2 अप्रैल तक मंगल की चतुर्थ दृष्टि होने से मानसिक तनाव, उत्तेजना एवं शरीर कष्ट का भय होगा। ता. 29 मार्च से वर्षान्त तक शनि की भी दृष्टि रहने से रोग एवं शत्रुभय रहे। ता. 28 जुला. से 13 सितं. के मध्य मंगल इसी राशि पर संचार करने से चोट आदि लगने का भय है और मन को परेशान करने वाली घटनाएं होंगी। तनाव व अशान्ति बनेगी।

उपाय- (1) मई मास तक प्रत्येक मास 'श्रीगणेश चतुर्थी' का व्रत संकल्पपूर्वक रखें तथा प्रसाद रूप में लड्डुओं आदि का प्रसाद बाँटें।

(2) अप्रैल मास से प्रत्येक शनिवार शनि मन्दिर में तेल, तिल चढ़ाना और दशरथकृत 'शनि-स्तोत्र' का पाठ करना शुभ रहेगा।

Libra - तुला

7. libra

वर्षफल - तुला राशि

वर्षारम्भ से 20 जन तक, पुनः 2 अप्रैल से 6 जून तक इस राशि पर मंगल की चतुर्थ दृष्टि रहने से परिश्रम उत्साह से कार्य करने से यथेष्ट लाभ होगा, वाहनादि सावधानीपूर्वक चलाएँ। ता. 2 मार्च से 12 अप्रैल तक राशिस्वामी शुक्र वक्री रहने तथा 13 अप्रैल से 14 मई के मध्य इस राशि पर सूर्य की नीच दृष्टि रहेगी। जिससे बनते कामों में अड़चनें पैदा होंगी |

14 मई से 19 अक्तू. तक गुरु की शत्रु पंचम दृष्टि रहने से व्यवसाय एवं नौकरी में नित्य नई परेशानियां उपस्थित हो, शत्रु हानि पहुँचाएंगे। ता. 31 मई से 29 जून तक राशिस्वामी शुक्र की स्वगृही दृष्टि, 29 जून से 25 जुला. तक शुक्र अष्टमस्थ (स्वराशि) होने से धन लाभ, शुभ यात्रा, प्रिय बन्धुओं से मिलाप आदि शुभ फल प्राप्त होंगे। परन्तु स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। ता. 9 अक्तू. से 2 नवं. तक शुक्र कन्या (नीच) राशि में संचार करने से आय कम व खर्च अधिक रहेंगे। ता. 5 दिसं. से गुरु की पुनः शत्रु दृष्टि रहने से घरेलु एवं व्यवसाय में नई-नई उलझनें/समस्याएँ उत्पन्न होंगी।

उपाय- (1) रंग-बिरंगी (चितकवरी) गाय की सेवा करना तथा भूरे रंग के कुत्ते को दूध व चपाती डालना शुभ होगा।

(2) लगातार 21 शुक्रवार श्रीदुर्गा-पूजन, 5 कन्या-पूजन, उन्हें खीर सहित श्वेत वस्तुएं देना एवं गौशाला में शुक्रवार से शुरु करके सात दिन तक गाय को हरा चारा, गुड़ डालना शुभ होगा।

Scorpio - वृश्चिक

8. scorpio

वर्षफल - वृश्चिक राशि

वर्षारम्भ से 29 मार्च तक वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या का अशुभ प्रभाव रहने तथा राशिस्वामी मंगल भाग्य स्थान में 21 जन. तक, पुनः 2 अप्रैल से 6 जून तक नीच राशिस्थ संचार करने से मानसिक तनाव, व्यर्थ की परेशानियां एवं भागदौड़, खर्च अधिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी कष्ट भी रहेगा। यद्यपि वर्षारम्भ से 14 मई तक गुरु की इस राशि पर मित्र दृष्टि रहने से रुकावटों के बावजूद पराक्रम में वृद्धि एवं आय के साधन बढ़ेंगे। सन्तान सम्बन्धी सुखों में भी वृद्धि होगी।

6 जून से 28 जुला. के मध्य इस राशि पर मंगल की स्वगृही चतुर्थ दृष्टि रहने से संघर्ष के बावजूद निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। खर्च भी रहेंगे। ता. 27 अक्तू से 7 दिसं. तक मंगल इस राशि पर स्वराशिगत होकर संचार करने से मान-सम्मान में वृद्धि, धन-लाभतथा नई-नई योजनाएं बनेंगी।

उपाय- (1) मार्च मास तक प्रत्येक शनिवार काँसे की कटोरी में तेल का छायापात्र करना, शा - मन्दिर में काले तिल एवं तेल (शनि का बीज मन्त्र पढ़ते हुए) चढ़ाना शुभ रहेगा।

Sagittarius- धनु

★ वर्षफल - धनु राशि

वर्षारम्भ से 14 मई तक राशिस्वामी गुरु षष्ठ भाव में शत्रुराशिगत संचार करने से अनावश्यक खर्च, निकटस्थ बन्धुओं से कलह-क्लेश व तनाव रहेगा। बिगड़े हुए कार्यों के पूरे होने में अभी विलम्ब होगा। ता. 29 मार्च से इस राशि पर शनि की हैय्या का भी प्रभाव रहने से व्यवसाय सम्बन्धी मानसिक तनाव, घरेलु उलझनें रहने की सम्भावनाएं रहेंगी। परन्तु 14 मई से राशिस्वामी गुरु की सप्तम दृष्टि 18 अक्तू. तक रहने से बीच-बीच में परिवारिक खुशी का वातावरण बनता रहेगा। गतवर्षीय कोई रुका हुआ काम बनेगा।

18 अक्तू. से 5 दिसं. के मध्य राशिपति गुरु कर्क राशि (उच्चस्थ) में आने से अकस्मात् धन प्राप्ति के योग हैं, परन्तु स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। शनि की दृष्टि (ढैय्या) के कारण विघ्न-बाधाओं का भी सामना रहेगा। शत्रु हानि पहुँचाने की चेष्टाएं करेंगे।

उपाय- (1) लगभग सारा वर्ष बृहस्पतिवार का विधिपूर्वक व्रत रखना तथा पीले वर्ण का पुखराज धारण करना शुभ होगा।

(2) लगातार 16 बृहस्पतिवार छोटी कन्याओं/बालकों को केले तथा बेसन की बरफी बाँटना शुभरहेगा।

Capricorn - मकर

★ वर्षफल-मकर राशि

मकर राशि पर शनि-साढ़ेसाती का प्रभाव अभी 29 मार्च तक रहेगा। वर्षारम्भ से 6 जून तक मंगल की विशेष उच्च दृष्टि तथा 14 मई तक गुरु की नीच दृष्टि रहेगी। फलस्वरूप संघर्षपूर्ण परिस्थितियां रहेंगी परन्तु विशेष परिश्रम एवं उद्यम करने पर यथानुकूल लाभ प्राप्त होगा।

ता. 13 अप्रै. से 13 मई तक सूर्य चतुर्थस्थ उच्चस्थ संचार करने से धन लाभ व उन्नति के अवसर मिलेंगे। ता. 14 मई से 14 जून तक सूर्य पंचमस्थ होने से, सूर्य-शनि के मध्य दृष्टि सम्बन्ध रहने से निकट भाई- गु. बन्धुओं के साथ सम्बन्धों में तनाव, क्रोध की भावना रहेगी। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। ता. 16 जुला. से 15 अग. तक इस राशि पर सूर्य की दृष्टि तथा 20 अग. से 14 सितं. तक

शुक्र की सप्तम दृष्टि रहने से बनते कामों में अड़चनें पैदा होंगी। ता. 18 अक्तू. से 5 दिसं. तक पुनः इस राशि पर गुरु की नीच सप्तम दृष्टि रहने से यह अवधि भी विशेष संघर्षपूर्ण एवं कठिन परिस्थितियों में से गुज़रेगा केतु अष्टमस्थ रहने से भी अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

उपाय- (1) ता. 29 मार्च तक हर शनिवार को सरसों के तेल में अपना चेहरा देखकर बीज मन्त्र पढ़ते हुए सायंकाल शनि मन्दिर में तेल चढ़ाएं। बीज मन्त्र- " ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः ।।"

(2) मई मास तक प्रत्येक बृहस्पतिवार गरीब लोगों को पीले मीठे चावलों सहित भोजन करवाएं।

Aquarius - कुम्भ

★ वर्षफल - कुम्भ राशि

कुम्भ राशि पर 'शनि-साढ़ेसाती' का प्रभाव अभी वर्षभर रहेगा। यद्यपि 29 मार्च से शनि का संचार इस राशि से हट जाएगा। राशिस्वामी शनि 29 मार्च से वर्षान्त तक द्वितीयस्थ मीन राशि में संचार करेगा। वर्षारम्भ से 20 जन. तक, पुनः 2 अप्रैल से 28 जुला. तक इस राशि पर मंगल की शत्रु दृष्टि भी रहेगी। फलस्वरूप ग्रहस्थिति अनुसार अनावश्यक भागदौड़ तथा कार्य-विलम्ब होंगे। कार्य-व्यवसाय सम्बन्धी विशेष परेशानियां होंगी।

ता. 18 मई से वर्षान्त तक राहु का संचार इस राशि पर रहने से कार्यों में विलम्ब, व्यर्थ की भागदौड़ तथा एकाग्रता की कमी रहेगी। व्यवसाय में विशेष उतार-चढ़ाव होंगे, परन्तु ध्यान रहे, 14 मई से 18 अक्तू, तक इस राशि पर गुरु की भी शुभ दृष्टि रहने से बिगड़ते हुए कार्य अचानक किसी के सहयोग से पूर्ण होंगे। ता. 16 सितं. से 16 अक्तू. के मध्य सूर्य-शनि के मध्य समसप्तक योग बनने से व्यवसाय व गृह सम्बन्धी उलझनें बढ़ेंगी। दुर्घटना से चोटादि लगने का भी भय है। स्वास्थ्य कष्ट तथा परिवार में मनमुटाव रहे।

उपाय-(1) वर्षभर प्रत्येक मास की श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर लड्डुओं आदि का भोग लगाना शुभ रहेगा।

(2) प्रत्येक शनिवार को शिव मन्दिर में शिवलिङ्ग पर कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र, 1 चुटकी शक्कर डालकर (ॐ नमः शिवायः) मन्त्र पढ़कर अभिषेक करें। तदुपरान्त पीपल को भी जल अर्पण करें।

Pisces - मीन

12. pisces

★ वर्षफल - मीन राशि

मीन राशि पर शनि-साढ़ेसाती का प्रभाव वर्षभर रहेगा। वर्षारम्भ से 18 मई तक इस राशि पर राहु का संचार तथा 29 मार्च से शनि का संचार भी इस राशि पर रहने से व्यवसाय एवं घरेलु स्तर पर बड़ी पेचीदा समस्याएँ उपस्थित होती रहेंगी। निकटस्थ पति/पत्नी में अथवा भाई-बन्धुओं के साथ तनाव की स्थिति रहे। अपने भी परायों जैसा व्यवहार करेंगे। ता. 6 जून से 13 सितं. तक मंगल की दृष्टि इस राशि पर रहने से मि, जायदाद, सन्तानादि सुखों में वृद्धि कारक होगा।

14 मई से 18 अक्तू. के मध्य राशिस्वामी गुरु चतुर्थ भावस्थ (मिथुन) रहने से माता-पिता से लाभवा उन्हें भी तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। ता. 18 अक्तू. से 5 दिसं. तक राशिपति गुरु पंचम भाव में स्वस्थ होकर संचार करने से उच्च प्रतिष्ठित लोगों के साथ सम्पर्क रहेंगे। धार्मिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी।

उपाय

- (1) जून मास तक प्रतिदिन पक्षियों को बाजरा डालना शुभ रहेगा।

(2) प्रतिदिन गुरु गायत्री मन्त्र का 108 बार जप करके भगवान् सूर्य को 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' पढ़कर अर्घ्य प्रदान करना।